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आँखों की तासीर
बन्द आँख में जो दिखे, सपने सब बेकार।
खुली आँख के स्वप्न ही, हो पाते साकार।।
भाव उपजते आँख जो, वो मन की तस्वीर।
मजा, बे-मजा जिन्दगी, आँखों की तासीर।।
आँखों आँखों में हुईं, तुमसे आँखें चार।
होठों से बातें नहीं, मूक अभी तक प्यार।।
आँखों में डूबा मगर, नहीं बुझी है प्यास।
कुछ आँखों में है चमक, लगते अधिक उदास।।
अच्छा है या फिर बुरा, प्रेमी समझ न पाय।
छले गए कुछ आँख से, कोई आँख बिछाय।।
तेरी सूरत यूँ बसी, आकर मेरे नैन।
बन्द आँख हो या खुली, दिखती हो दिन-रैन।।
खुशी दिखे बस आँख में, है आँखों में पीड़।
चाहत तेरी आँख में, बने सुमन का नीड़।।
१३ अक्तूबर २०१३ |