मैं डूब सकूँ
मैं डूब सकूँ इन आँखों में जो तेरी
इजाजत हो जाए
इक डर है दिल के कोने में कुछ तुमको शिकायत हो जाए
जुल्फों की छाँव घनेरी हो जहाँ
बैठ तपिश पे गीत लिखूँ
साँसों की गिनती में सरगम समझो कि इबादत हो जाए
तन भी सुन्दर मन भी सुन्दर है
प्यार तुम्हारी आँखों में
महसूस करो दिल की धड़कन तो दिल की हिफाजत हो जाए
एहसास तुम्हारे दिल में जो
चेहरे की नफासत कहती है
कहीं चूक गया जो प्यार तेरा तो खुद से अदावत हो जाए
अनजान मिले थे हम दोनों पहचान
पुरानी-सी लगती
पहचान वही लौटा दो मुझे एक बार हिमाकत हो जाए
आपस में मिलतीं चाहत जब तो इश्क
वहाँ पर लाजिम है
इकरार करो बस लफजों से थोड़ी सी इनायत हो जाए
साँसों का केवल चलना क्या जीने
की निशानी हो सकती?
कुछ प्यार सुमन पर बरसा दो जीवन भी सलामत हो जाए
२६ अप्रैल २०१०
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