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अनुभूति में श्यामल सुमन की रचनाएँ-

मुक्तक में-
चेतना (चार मुक्तक)

दोहों में-
दोहों में व्यंग्य
नेता पुराण

हार जीत के बीच में

अंजुमन में-
अभिसार ज़िंदगी है
कभी जिन्दगी ने
जीने की ललक
बच्चे से बस्ता है भारी
बाँटी हो जिसने तीरगी
मुझको वर दे तू
मुस्कुरा के हाल कहता
मेरी यही इबादत है
मैं डूब सकूँ
रोकर मैंने हँसना सीखा
रोग समझकर
साथी सुख में बन जाते सब
हाल पूछा आपने

कविताओं में-
आत्मबोध
इंसानियत
एहसास
कसक
ज़िंदगी
द्वंद्व
दर्पण
फ़ितरत 
संवाद
सारांश
सिफ़र का सफ़र

  अभिसार जिन्दगी है

संघर्ष न किया तो धिक्कार जिन्दगी है
काँटों का सेज कहकर स्वीकार जिन्दगी है

मिलता सुकूँ हवा से जो तन पे हो पसीना
भूखे की जैसे रोटी अभिसार जिन्दगी है

इन्सानियत की कीमत ईमान की भी कीमत
हालात ऐसे लगते व्यापार जिन्दगी है

क्या माँगने से हिस्से का धूप भी मिलेगा
हक छीनकर के पाना अधिकार जिन्दगी है

गुजरो जिधर से खुशबू बन के सुमन की गुजरो
कोई भी कह सके ना लाचार जिन्दगी है।।

२६ अप्रैल २०१०

 

 

 
 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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