अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में श्यामल सुमन की रचनाएँ-

मुक्तक में-
चेतना (चार मुक्तक)

दोहों में-
दोहों में व्यंग्य
नेता पुराण

हार जीत के बीच में

अंजुमन में-
अभिसार ज़िंदगी है
कभी जिन्दगी ने
जीने की ललक
बच्चे से बस्ता है भारी
बाँटी हो जिसने तीरगी
मुझको वर दे तू
मुस्कुरा के हाल कहता
मेरी यही इबादत है
मैं डूब सकूँ
रोकर मैंने हँसना सीखा
रोग समझकर
साथी सुख में बन जाते सब
हाल पूछा आपने

कविताओं में-
आत्मबोध
इंसानियत
एहसास
कसक
ज़िंदगी
द्वंद्व
दर्पण
फ़ितरत 
संवाद
सारांश
सिफ़र का सफ़र

  नेता-पुराण

चली सियासत की हवा नेताओं में जोश
कुछ अबतक बेहोश हैं शेष यहाँ मदहोश

दल सारे दलदल हुए नेता करे बबाल
किस दल में अब कौन है पूछे लोग सवाल

मुझ पे गर इल्जाम तो दो पत्नी को चांस
हार गए तो कुछ नहीं जीते तो रोमांस

जनसेवक राजा हुए रोया सकल समाज
कैद में उनके चँदनी,
कोयल की आवाज

नेता और कुदाल की नीति-रीति है एक
समता खुरपी सी नहीं वैसा कहाँ विवेक

जहाँ पे कल थी झोपड़ी देखो महल विशाल
घर तक जाती रेल भी नेता करे कमाल

दग्ध हृदय पर श्वेत-वस्त्र चेहरे पे मुस्कान
नेता कहीं न बेच दे सारा हिन्दुस्तान

सच मानें और जाँच लें नेता के गुण चार
बड़बोला, झूठा, निडर,
पतितों के सरदार

पाँच बरस के बाद ही नेता आये गाँव
नहीं मिलेगा वोट अब लौटो उल्टे पाँव

जगी चेतना लोग में लिया इन्हें पहचान
गले सुमन का हार था हार गए श्रीमान

३० मार्च २००९

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter