आशा का दीपक
दिल यूँ किसी का जलाया ना जाये
मुहब्बत में आँसू बहाया ना जाये
बिकती हैं मुस्कान बाज़ार में अब
हँसते हुए को रुलाया ना जाये
सबके विचारों का चश्मा अलग है
अंधे को दर्पण दिखाया ना जाये
चालाक ही खुद को नादान कहते
आगे से गुर ये सिखाया ना जाये
दिल में सुमन होगा कल और बेहतर
आशा का दीपक बुझाया ना जाये
१६ अप्रैल २०१२
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