उठो जमूरे
उठो जमूरे कर लें पूरे
खेल अधूरे
राजा का दरबार लगाएँ
निर्दोषों का दोष बताएँ
अन्यायी को न्याय दिलाएँ
पूरे पूरे
भले जले ना उनके चूल्हे
भूखों से चालान वसूलें
मस्त रहें फिर खाकर सोयें
भाँग धतूरे
लोग बिजूके आज सड़क पर
कौन लड़ेगा इनके हक पर
दर्शक बहरे हम क्यों अपना
राग बिसूरें
१ अक्टूबर २०२३२३ फरवरी २०१५
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