शब्द पक रहे हैं
सुना है
शब्द पक रहे हैं
ज़मीन के उस टुकड़े पर
जो घिरा है
बन्दूकों के साये से
हाँ
शब्द पक रहें हैं
शब्दों का पकना भी
एक स्वाभाविक प्रक्रिया है
फसलों के पकने की तरह
किन्तु
फर्क है दोनों में बहुत
सदियाँ बीत जाती है
तब कहीं जाकर
पकते हैं शब्द |