बचपन
कंकर गुलेल और बरगद
कच्ची इमली कच्चे आम
भूल न पाए अब तक भी हम
नंगे पैर गुज़रती शाम
आजकल
आजकल
खिलौने नहीं माँगते बच्चे
टिकी रहती है उनकी निगाहें
अपने कोर्स की
किताबों पर
दीमकों की तरह
किताबों को
चाट जाना चाहते हैं
बच्चे
विश्वास
स्कूल जाते
बच्चे के बस्ते में
चुपके से डाल देता हूँ
कुछ अधूरी कविताएँ
इस विश्वास के साथ
कि वह
पूरी करेगा इन्हें
एक दिन
दीवारें
दीवारों के सहारे
उग आई हैं गाजरघास
या गाजरघास के सहारे
उठाई गईं हैं दीवारें? |