अनुभूति में
अश्विन गांधी की कविताएँ-
नई रचनाओं में-
दर्द
धड़कता दिल
परेशां मत होना
मेरी माँ
ये जीवन है
हमको कहते हैं कौल सेंटर
छंदमुक्त में-
अपनी खुशी के लिये
अनुभूति एक साल की
ओ अनुभूति! जनमदिन मुबारक तुझे
कारवाँ
कोई आता नहीं
खुशी और दर्द
बुढ़ापा
मध्य समंदर
मुझे कुछ कहना है
अनुभूति
तुम्हारी हो या हमारी
मेरा दोस्त मेरा आसमाँ
सूरज ढलता है
संकलन में-
वसंती हवा –
गीत वसंत के
धूप के पांव –
गरमी
गांव में अलाव –
आज सुबह
गुच्छे भर अमलतास–सोचता
हूँ
पिता की तस्वीर–
शिवास्ते पंथानः सन्तु
ज्योति पर्व–
एक दिया जले
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कोटि कोटि दीप जलें
नया साल–
नया साल आने को है
ममतामयी–
माँ प्यारी माँ
क्षणिकाओं में-
पतंग
आँखों से
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परेशां मत होना
मेरे लिए परेशाँ मत होना
अपना ख़याल रखना
मिलना बिछड़ना
येही तो जीवन है
जख्म होते हैं भरते भी हैं
समय अपना काम भी तो करता है
बहादुर हो
बहादुर बने रहना
खुद को कभी कम मत समझना
खुद खुशी मिले ना मिले
मुस्कराते रहना खुशी बाँटते रहना
याद मेरी आये तो सोच लेना
कह गया मुस्कराते हुए
एक साफ़ दिल अच्छा इंसान
कहेगा फूल हर कली से बार बार
जीना ही उसका नाम है
२७ जुलाई २०१५
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