माँ प्यारी माँ
कोशिश की थी
कविता लिखने की
बरसों पहले
छोटी-सी आयु में
सीख रहा था छंद कोई
पंक्ति बन रही थी
'माँ, प्यारी माँ'
तेरे ऋण है मुझ पर हज़ार
बढ़ न सका आगे
उलझनों में रह गया
बढ़ रहा हूँ आज
माँ प्यारी माँ
तीरथ करती हो
करते रहना
पुण्य करती हो
करते रहना
छत है तेरे पुण्यों की
करेगी रक्षा हम बच्चों की
माँ प्यारी माँ
- अश्विन गांधी
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