अनुभूति में
अश्विन गांधी की कविताएँ-
नई रचनाओं में-
कारवाँ
खुशी और दर्द
सूरज ढलता है
छंदमुक्त में-
अपनी खुशी के लिये
अनुभूति एक साल की
ओ अनुभूति! जनमदिन मुबारक तुझे
कोई आता नहीं
बुढ़ापा
मध्य समंदर
मुझे कुछ कहना है
अनुभूति
तुम्हारी हो या हमारी
मेरा दोस्त मेरा आसमाँ
संकलन में-
वसंती हवा –
गीत वसंत के
धूप के पांव –
गरमी
गांव में अलाव –
आज सुबह
गुच्छे भर अमलतास–सोचता
हूँ
पिता की तस्वीर–
शिवास्ते पंथानः सन्तु
ज्योति पर्व–
एक दिया जले
–
कोटि कोटि दीप जलें
नया साल–
नया साल आने को है
ममतामयी–
माँ प्यारी माँ
क्षणिकाओं में-
पतंग
आँखों से
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खुशी और दर्द
ख़ुशी और दर्द
कब से मैं इंतिज़ार में
कोई आता नहीं
दर्द क्या है
समझ में आता नहीं
आये तो कौन आये
लाये तो क्या लाये
माँगूँ तो क्या माँगूँ
समझ में आता नहीं
तमन्ना रहती है
ख़ुशी की मुस्कान बनी रहे
मालूम नहीं कैसे
दर्द कहीं चूभकने लगता है
ख़ुशी और दर्द
साथ साथ हैं इस जीवन में
दोस्ती होनी है दोनों से
कुछ कुछ समझ में आता है
१९ मार्च २०१२ |