अनुभूति में
अश्विन गांधी की कविताएँ-
नई रचनाओं में-
कारवाँ
खुशी और दर्द
सूरज ढलता है
छंदमुक्त में-
अपनी खुशी के लिये
अनुभूति एक साल की
ओ अनुभूति! जनमदिन मुबारक तुझे
कोई आता नहीं
बुढ़ापा
मध्य समंदर
मुझे कुछ कहना है
अनुभूति
तुम्हारी हो या हमारी
मेरा दोस्त मेरा आसमाँ
संकलन में-
वसंती हवा –
गीत वसंत के
धूप के पांव –
गरमी
गांव में अलाव –
आज सुबह
गुच्छे भर अमलतास–सोचता
हूँ
पिता की तस्वीर–
शिवास्ते पंथानः सन्तु
ज्योति पर्व–
एक दिया जले
–
कोटि कोटि दीप जलें
नया साल–
नया साल आने को है
ममतामयी–
माँ प्यारी माँ
क्षणिकाओं में-
पतंग
आँखों से
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ओ अनुभूति! जनमदिन मुबारक तुझे
सदियाँ आती रही
सदियाँ जाती रही
गुनगुनाती रही हमेशा
मानव मन की अनुभूति
दो हज़ार का साल
नयी सदी की शुरूआत
नये रूप में नये रंग में
आयी एक अनुभूति
गीत खुशी के गाते गाते
हो गई आज दो साल की
सुख दे
दुख हर ले
प्यार भर दे
बिछड़े ना कभी
सदा साथ रहे
क्यों ना हो
सब की ये अनुभूति ?
सदियाँ आती रहें
सदियाँ जाती रहें
गीत तेरे
अमर रहे
ओ अनुभूति
जनम दिन मुबारक तुझे
१ जनवरी २००३ |