अनुभूति में
अश्विन गांधी की कविताएँ-
नई रचनाओं में-
कारवाँ
खुशी और दर्द
सूरज ढलता है
छंदमुक्त में-
अपनी खुशी के लिये
अनुभूति एक साल की
ओ अनुभूति! जनमदिन मुबारक तुझे
कोई आता नहीं
बुढ़ापा
मध्य समंदर
मुझे कुछ कहना है
अनुभूति
तुम्हारी हो या हमारी
मेरा दोस्त मेरा आसमाँ
संकलन में-
वसंती हवा –
गीत वसंत के
धूप के पांव –
गरमी
गांव में अलाव –
आज सुबह
गुच्छे भर अमलतास–सोचता
हूँ
पिता की तस्वीर–
शिवास्ते पंथानः सन्तु
ज्योति पर्व–
एक दिया जले
–
कोटि कोटि दीप जलें
नया साल–
नया साल आने को है
ममतामयी–
माँ प्यारी माँ
क्षणिकाओं में-
पतंग
आँखों से
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मुझे कुछ कहना है
समय उड़ता जाए
कदम मेरे लड़खड़ाए
कब तक खामोश रहूँ मैं
मुझे कुछ कहना है
सामने खड़ा परबत
बाँहें बड़ी फैलाए पुकारे बार बार
मुझे शिखर पहुँचना है
काले घने बादल
रिमझिम रिमझिम बरसात
कलकल बहती नदी
मुझे साथ साथ बहना है
खिली धूप दो पल
पंख फैलाए उड़ी पंछी की टोली
मुझे साथ साथ ऊड़ना है
बहोत रहे अरमान मेरे
मुझे बहुत कुछ कहना है
१ अगस्त २०११ |