अनुभूति में
अश्विन गांधी की कविताएँ-
नई रचनाओं में-
दर्द
धड़कता दिल
परेशां मत होना
मेरी माँ
ये जीवन है
हमको कहते हैं कौल सेंटर
छंदमुक्त में-
अपनी खुशी के लिये
अनुभूति एक साल की
ओ अनुभूति! जनमदिन मुबारक तुझे
कारवाँ
कोई आता नहीं
खुशी और दर्द
बुढ़ापा
मध्य समंदर
मुझे कुछ कहना है
अनुभूति
तुम्हारी हो या हमारी
मेरा दोस्त मेरा आसमाँ
सूरज ढलता है
संकलन में-
वसंती हवा –
गीत वसंत के
धूप के पांव –
गरमी
गांव में अलाव –
आज सुबह
गुच्छे भर अमलतास–सोचता
हूँ
पिता की तस्वीर–
शिवास्ते पंथानः सन्तु
ज्योति पर्व–
एक दिया जले
–
कोटि कोटि दीप जलें
नया साल–
नया साल आने को है
ममतामयी–
माँ प्यारी माँ
क्षणिकाओं में-
पतंग
आँखों से
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हमको कहते हैं कौल सेंटर
सातों दिन चौबीसों घंटे
खुले है हम
बस आवाज़ दो
हम को कहते है कॉल सेंटर
कुछ तकलीफ हुई
कॉल सेंटर को आवाज़ दी
अंग्रेजी में सर्विस चाहिए तो एक दाबो
दो चार पाँच
बहुत कुछ दबाने की च्वाइस मिल गयी
दबाना खतम हुआ
एक महिला की सुन्दर आवाज़ आई
हम सब अभी व्यस्त हैं
आप हमारे बहुमूल्य ग्राहक हैं
बस लाइन पर बने रहिये
मनोरंजन के लिए संगीत शुरू हुआ
एक आध मिनट के बाद संगीत बंद हुआ
महिला ने फिर से पुकारा
हम अब भी व्यस्त हैं
हिम्मत मत हारना लाइन पर बने रहना
फिर संगीत फिर महिला
सिलसिला जारी रहा
लंबा समय बीत गया
फोन गरम हो गया
हाथ और कान दुखने लगे
थक गया हार गया
लाइन छोड़ कर भाग गया
सातों दिन चौबीसों घंटे
खुले हैं हम
बस आवाज़ दो
हम को कहते है कॉल सेंटर
२७ जुलाई २०१५ |