अनुभूति में ऋचा शर्मा
की रचनाएँ-
छंदमुक्त
में-
अनन्त यात्रा
एक फुसफुसाहट
दीवार और दरवाज़ा
भय
खाली आँखें
मेरे सपने
मुझे लगता है
रोज़ नयी शुरुआत
सुनो पद्मा
स्वर मेरा
सुन रानी सुन
हर बात नयी
संकलन में-
ज्योतिपर्व–
दादी माँ का संदेशा
दिये जलाओ–
मुझे भी है दिवाली मनानी
हे कमला
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हर बात
नयी
वंशी की तान नयी
लय में उठान नयी
गौर युगल चरणों ने डाली पदचाप नयी
वृक्षों के पात नये
मन ओढ़े है गात नये
सिमटी सुहानी छटा देखो मुसकाय रही
शोर है पवन में नया
शब्द में है स्पर्श नया
गूँजी टंकार कि सुनो नयी घड़ी आ रही
दो मुझे उल्लास नया
भरो प्राणों में प्यास नयी
आने वाले युग की प्रतिध्वनि यही कहती रही
बीती सो बिसार दो
स्मृति को विश्राम दो
योजनाएँ जानती मूर्त होना है विचार सही
कंकण को भूल कर
कंकड़ का ध्यान धार
कण–कण में माटी नित कँपाय रही
बंजर को उर्वर दे
उर्वर को हरीतिमा
हरीतिमा से जीवन को हो आज यात्रा नयी
फूलें फैलें मेंह की कतार
फूलें फैलें बाँज पीपल मदार
हर चेहरे पर खिले मृदुलता नयी
शुभ हो तुम्हारा
मंगल हो तुम्हारा
बासी न हो जाएँ सारी सद्भावनाएँ नयी
सेवो निज और जन को
बाँटो कि जितना संभव हो
पानी है अप्राप्य खुशी लानी है विह्वलता नयी
रखो ज़रा धीर तनिक
औरों की भी सुनो
लो ले लो मेरी ओर से आज शुभकामना नयी
क्योंकि वंशी की तान नयी
लय में उठान नयी
ले लो मेरी ओर से आज शुभकामना नयी
आज शुभकामना नयी |