सूरज
जाने क्यों नित प्रातकाल में,
गहरी निद्रा आती है
सूरज निकला अब तो उठ जा,
मम्मी रोज़ जगाती है
मन में सोचूँ क्यों आ जाते
सूरज हमें जगाने तुम
पूरी नींद न हो पाती,
सोते हो तुम शायद कम
पर सर्दी में सूरज लगते,
हमको खूब सुहाने तुम
छुट्टी के दिन पिकनिक जाते,
मस्ती करते मिलकर हम
एक बात मैं पूछूँ सूरज,
कोहरे से क्यों डरते तुम
वह आता है जिस दिन इससे,
छुपते फिरते हो क्यों तुम
चुपके-चुपके नित छुप जाते,
किसके घर में जाकर तुम
पता बता दो तो आएँगे,
वहीं खेलने मिलकर हम
24 मई 2006
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