मीत मेरे
मीत मेरे गीत तेरे, प्रीति में गाती रहूँगी।
सागर-सी गहरी प्रीति तेरी मीत मैं पाती रहूँगी।।
बन के लता मन से लिपटती जाऊँगी।
बाहों में तेरी मैं सिमटती जाऊँगी।
जीवन बिलोते जाइए, नवनीत मैं पाती रहूँगी।
मीत मेरे गीत तेरे, प्रीति में गाती रहूँगी।।
बंसुरी बनके चरण संग घूम लूँगी।
बंसुरी बन के अधर को चूम लूँगी।
मन छेड़ते ही जाइए, संगीत मैं पाती रहूँगी।
मीत मेरे गीत तेरे, प्रीति में गाती रहूँगी।।
छाँव में अलकें सुखाती मैं मिलूँगी।
राह में पलकें बिछाती मैं मिलूँगी।
आप दिल बसते रहें तो, जीत मैं पाती रहूँगी।
मीत मेरे गीत तेरे, प्रीति में गाती रहूँगी।।
9 अक्तूबर 2006 |