ऐसे क्षण आये
ऐसे क्षण आये जीवन में
माटी कंचन लगे
नयन रह जायें ठगे-ठगे
तन लहराये अगरु गन्ध-सा
मन लहरे किसलय-सा
हर पल लगे प्रणय की बेला
हर उत्सव परिणय-सा
छाया तक कस लेने-वाला
बन्धन, कंगन लगे
नयन रह जायें ठगे-ठगे
अपनी छाया अंकित कर दूँ
इस देहरी, उस द्वारे
पानी में प्रतिबिम्ब निहारूँ
मन-मोहक पट-धारे
चकाचौंध कर देने वाला
सूरज दर्पन लगे
नयन रह जायें ठगे-ठगे
इधर प्रभंजन उठे, उधर
मैं उपवन-उपवन डोलूँ
फूलों के ऊर्मिल रंगों में
धूमिल पलकें धोलूँ
गगन विचुम्बी वातचक्र नर्तित
नन्दन-वन लगे।
नयन रह जायें ठगे-ठगे
१ फरवरी २०१६