विजय ठाकुर
शिक्षा-
रांची विश्वविदयालय से अँगरेजी साहित्य में आर्नस। एम ए एवं एम
फिल दिल्ली विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान में।
प्रकाशित कृतियाँ-
मूलतः भाषा संबंधित कई शोध कार्य में संलग्न हिन्दी व्याकरण की
एक पुस्तक यमुना काचर एवं राजेश कुमार के साथ प्रकाशित हो चुकी
है। हिन्दी एवम मैथिली में शौकिया तौर पर रचनात्मक लेखन
स्थानीय समाचार पत्रों में कुछेक रचनाएँ छप चुकी हैं।
सम्प्रति-
इलिनाय विश्वविदयालय अरबाना शैंपेन में भाषा विज्ञान में शोध
कार्य और हिन्दी शिक्षण।
आत्मकथ्य :
कविताई का शौक दिल्ली विश्वविद्यालय में आकर चर्राया था या यों
कहिये हवा लग गई। मैथिली या हिन्दी में थोड़ा बहुत जो लिख मारता
स्थानीय फोरमों एवं होस्टल के अत्यंत आत्मीय दोस्तों के हवाले
कर देता या फिर डस्टबीन महाशय के । भला तो हो इस वेबसाईट ‘एज’
में कविताओं वाली साईट अनुभूति का जिसने हनुमान की यादाश्त फिर
से दे दी । धर्मवीर भारती, बाबा नार्गाजुन, रेणु और मन्नू जी
मुझे सबसे ज्यादा ‘अपीलते’ हैं ।
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