आवाहन
हे महापुंज बापू महान
फिर से फूँको हर मानव में
मंत्र अहिंसा का संधान
सत्य शांति फिर लौटाओ
तुम पुन: धरा पर आ जाओ
प्रसृत हो जहाँ से शांति-अमन
अब वहीं हो रहा रक्तपात
मुरझाया है सारा उपवन
इस उपवन को फिर हरियाओ
तुम पुन: धरा पर आ जाओ
न्यूयॉर्क, दिल्ली हो या लंदन
आतंक का साया छाया है
भयभीत हो रही हर धड़कन
इस भय से त्राण दिला जाओ
तुम पुन: धरा पर आ जाओ
मानवता करती है क्रंदन
अब हृदय-हृदय में घृणा भरी
संपूर्ण वायु में एक चुभन
अब पाठ प्रेम का दुहराओ
तुम पुन: धरा पर आ जाओ
सभ्यता कर रही घोर पतन
अपराधी भाग्य-विधाता है
फिर से अब हो सागर-मंथन
गौतम को अपने संग लाओ
तुम पुन: धरा पर आ जाओ
-विजय ठाकुर
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