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अनुभूति में विजय ठाकुर की रचनाएँ-

हास्य व्यंग्य में—
अड़बड सड़बड़
गुफ्तगू वायरस इश्क से
मेघदूत और ईमेल
स्वर्ग का धरतीकरण

छंदमुक्त में—
अपना कोना
काहे का रोना
कैक्टसों की बदली
तेरी तस्वीर
तीजा पग
दे सको तो
पीछा
प्रश्न
बचपन जिंदा है
मवाद
रेखा
वर्तनी


छोटी कविताओं में-
चकमा
जनता का प्यार
समानता

संकलन में-
गुच्छे भर अमलतास– ग्रीष्म आया
तुम्हें नमन– आवाहन

  दे सको तो

हे प्रभु
ना दो मुझे
ऊँचाइयाँ
मकबूलियत
यदि दे सको
तो दो मुझे
सच्चाइयाँ
इन्सानियत
हे प्रभु
ना दो मुझे
तुम दर्प मिथ्या
और ढेरों कामना
यदि दे सको
तो दो मुझे
पथ सच्चा
और सेवा–भावना
हे प्रभु
ना दो मुझे
तुम बाहुबल
और धन–चपल
यदि दे सको
तो दो मुझे
तुम ज्ञान–प्रज्ञा
और सर्जन–चेतना

हे प्रभु
यदि दे सको तो...

8 अक्तूबर २००२
 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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