अनुभूति में
नीलम जैन
की
रचनाएँ —
गीतों में-
बर्फ
बसंत
पढ़ पढ़ अखियाँ भर आई
माँ होना और माँ का होना
अंजुमन में —
ऐ सितारों
बेसबब
समझ बैठे
संकलन में —
धूप के पाँव–
दोपहर
वर्षा मंगल–
सावन का बदरा
प्रेमगीत–
राधा कर देना
गुच्छे भर अमलतास–
अलसा महीना
तुम्हें नमन–
श्रद्धांजलि
ज्योति पर्व–
दीप जलाएँ
एक दीप तुम्हारा
भी है
होली है– ऋतु
होली की आई
– रंग उड़ाती आई होली
काव्यचर्चा में
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यों
हुई शुरुआत
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समझ बैठे
तेरा सीना समझ कर सर रख दिया
हम घटाओं को परबत समझ बैठे
होश में यूँ नहीं थी कोई कमी
ऑंख बरसी तो सावन समझ बैठे
यूँ अमावस घनी जिन्दगी में ढली
इक दिये को सहर ही समझ बैठे
मन जो बैठा है चाबुक लिये हाथ में
उसको ही मीत अपना समझ बैठे
सरे आम लूटा उड़ाया हमें
उन हवाओं को दामन समझ बैठे
छुप के छाया खड़ी जो कड़ी धूप में
छॉंव उसकी को मरहम समझ बैठे
खोल कर रख दिये दिल के सारे भरम
आसमानों को छत ही समझ बैठे
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