पहली
किरण को देखकर
स्मित अधरों पर यों बोली
उषा की लाली में डूबी
रंग उड़ाती आई होली
सजधज कर आएँगे साथी
आँगन भर सजती रंगोली
नाचेंगे और गाएँगे हम
मधुर स्वरों से भरेगी झोली
याद आएँगे प्रियजन सारे
दूर देस के सभी नज़ारे
कब फिर दिन आए दोबारा
बाबुल का घर और हमजोली
नीलम जैन
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