होली
है और धूम मची है
नई उमंग से धरा सजी है
प्रात:
गुलाबी किरणों का है
रंगो से है छुपा छुपाई
आओ सखी री भीगी मेंहदी
फिर से ऋतु होली की आई
होली
है और धूम मची है
नई उमंग से धरा सजी है
लहरों-सा मन इत उत डोले
नटखट हो बरसा रंग रास
आलिंगन में लिपटी चाहें
बौछारों से पुलकित गात
होली
है और धूम मची है
नई उमंग से धरा सजी है
लहराया
जो पवन हिंडोला
चुनरी का आँचल विस्तार
ध नि ध प बूँदे टपकीं
मुस्काता बैठा अभिसार
होली
है और धूम मची है
नई
उमंग से धरा सजी है
-नीलम
जैन
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