अनुभूति में
नीलम जैन
की
रचनाएँ —
गीतों में-
बर्फ
बसंत
पढ़ पढ़ अखियाँ भर आई
माँ होना और माँ का होना
अंजुमन में —
ऐ सितारों
बेसबब
समझ बैठे
संकलन में —
धूप के पाँव–
दोपहर
वर्षा मंगल–
सावन का बदरा
प्रेमगीत–
राधा कर देना
गुच्छे भर अमलतास–
अलसा महीना
तुम्हें नमन–
श्रद्धांजलि
ज्योति पर्व–
दीप जलाएँ
एक दीप तुम्हारा
भी है
होली है– ऋतु
होली की आई
– रंग उड़ाती आई होली
काव्यचर्चा में
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यों
हुई शुरुआत
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बर्फ कहाँ कहाँ
जा बैठी
मुरझाये फूलों
पर डेरा
इसको नहीं है तेरा मेरा
उदासियों की देहरी पर
खुशियों की तुलसी पर बैठी
बर्फ कहाँ कहाँ जा बैठी
मुँडेरों पर और गमलों पर
सूखे पौधों और थमलों पर
नरम नरम भेष धर बैठी
चुपके से हौले जा बैठी
बर्फ कहाँ कहाँ जा बैठी
बिजली की पतली तारों पर
कारों की खड़ी कतारों पर
डाक में आये खत पर बैठी
यादों की खिड़की आ बैठी
बर्फ कहाँ कहाँ जा बैठी
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