राधा कर देना
होंठ
सिये और आखें मींचे
बैठी मैं दर्पण के आगे
सखियों बाँधो केश मेरे
ध्यान रहे कोई लट न बहके
बिंदिया मेरे भाल सजाकर
माँग में श्रद्धाप्रेम बसाकर
दहके गालों पर गुलमोहर
मुझको तुम राधा कर देना
कान्हा को कोई नाम न देना
अन्तरमन में गीत लिये
सकुचाई सी प्रीत लिये
आँखो में काजल भर देना
ध्यान रहे कोई स्वप्न ना छलके
अँचरा चोली बाँध सँवारो
गले में प्रियतम की माला हो
कानो में फूलों सी बतियाँ
मुझको तुम राधा कर देना
कान्हा को कोई नाम न देना
जमुना तटपर अम्बुवा नीचे
मधुवन में पर्वत के पीछे
सखियों मेरे साथ चलो ना
ध्यान रहे कोई राह बचे ना
पाँव मेरे पायल और मेंहदी
बाजूबंद चूड़ियाँ खन खन
और कमर पर गगरी खाली
मुझको तुम राधा कर देना
कान्हा को कोई नाम न देना
— नीलम जैन |