अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

प्रेम गीत
विश्वजाल पर प्रेम कविताओं का संक्षिप्त संग्रह

   

जब भी 

जब भी उतरती है
मेरे आँगन में 
एक शाम तुम्हारे नाम की
मेरे पहलू मे कुछ महकता है
और बजता है एक सुर
सारे तार झनक उठते है
उन्मादित मन मयूर
अपनी ही धुन में
सारी शाम की रंगीनियाँ अपने पंखों में समेटे
जीवन की धड़कन 
और धड़कन की लय में
स्वयं को ढाले
दुनिया की तमाम किस्से-कहानियों से परे
एक अलौकिक नृत्य से
मुझे बाँध लेता है
तब मै सोचती हूँ
क्या आत्मसात की यही चरमानुभूति है

- रानी थॉम्पसन

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter