पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१. २. २०२२     

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चिरैया बचकर रहना

 

 

परिधि तुम्हारे पंखों की लो
रहे हितैषी खींच
चिरैया बचकर रहना

रूढ़िवाद की पैरों में मिल
बेड़ी डालेंगे
तेरे चिंतन में पगली ये
आग लगा देंगे

रखें चरण दस्तार न झूठे
लें न प्रेम से भींच
चिरैया बचकर रहना

जगत हँसाई का कानों में
मंतर फूँकेंगे
करने वश में तुझे नहीं ये
जंतर चूकेंगे

छल के बगुले कर के धोखा
देंगे आँखें मींच
चिरैया बचकर रहना

साँसें कितनी ली हैं कैसे
बही निकालेंगे
चाल-चलन की पोथी पत्री
सभी खँगालेंगे

संघर्षो से हुई प्रगति पर
उछल न जाये कीच
चिरैया बचकर रहना

-
अनामिका सिंह
इस माह

गीतों में-

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अनामिका सिंह

अंजुमन में-

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पंकज परिमल

छंदमुक्त में-

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पद्मा मिश्रा

दोहों में-

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कल्पना मनोरमा

पुनर्पाठ में-

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भगवान स्वरूप सरस

विगत माह
नव वर्ष विशेषांक में

गीतों में- अनिल कुमार वर्मा, ऋताशेखर मधु, गिरिमोहम गुरु, गोपालकृष्ण भट्ट आकुल, जगदीश पंकज, जयप्रकाश श्रीवास्तव, निवेदिता निवि, पद्मा मिश्रा, पुष्प लता शर्मा, मंजुल भटनागर, मधु शुक्ला, मनोज जैन मधुर, रवि खंडेलवाल, राममूर्ति सिंह अधीर, योगेन्द्रदत्त शर्मा, योगेन्द्र प्रताप मौर्य, रंजना गुप्ता, राकेश खंडेलवाल, विश्वम्भर शुक्ल, शशि पाधा, शैलेन्द्र शर्मा, शैलेश गुप्त वीर, श्रीधर आचार्य शील।

अंजुमन में- अमित खरे, आभा खरे, कुंतल श्रीवास्तव, परमजीत कौर रीत, मंजुल मंज़र

दोहों में- ज्योतिर्मयी पंत, मंजु गुप्ता, सुरेन्द्र कुमार शर्मा

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन