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         साल आया फिर नया

 
साल आया फिर नया ले कर नयी शुभकामना
दे रहा संसार को खुशियों भरी शुभकामना

साल नव आता सदा ले कर नया जोशो जुनूँ
वह मुक़द्दस शुभ घड़ी फिर आ गयी शुभकामना

बीतती जब रात आधी पा धरे चुपचाप वो
बज उठें फिर सब गजर लगती झड़ी शुभकामना

सर्द मौसम बर्फ़बारी में भी वह ठिठका नहीं
दे गया हाथों में इक खिलती कली शुभकामना

बोझ गुज़रे वक़्त पर शुभकामनाओं का बहुत
वक़्त की झोली पुरानी ढो रही शुभकामना

ज़िन्दगी हर साल ही दुहरा रही अपनी दुआ
वक़्त पर आकर मगर देती ख़ुशी शुभकामना

उम्र गुज़री चाह दिल की आज भी 'कुंतल' वही
आ के कोई दे मुझे नववर्ष की शुभकामना

- कुन्तल श्रीवास्तव
१ जनवरी २०२२

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