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         नव वर्ष का नव गीत

 
नयनों में ले नया नया पन
ढूँढ लिया नव वर्ष

निश्चित तिथि उदघोष हुई
तब कहा सभी ने नूतन
नये वर्ष का हर्ष मनाकर
किया सभी ने नर्तन
इसी हर्ष में छिपा हुआ है
आगत का उत्कर्ष

आओ गले मिलो, गल जाये
राग द्वेष की बर्फ
प्रेम ताग में ही तागें
जितने अधरों पर हर्फ
नयी प्रेरणा नव उमंग ले बढें
लिये नव हर्ष

- पं. गिरि मोहन गुरु
१ जनवरी २०२२

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