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स्वागत अभिनंदन है |
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वैष्णव तिलक त्रिपुण्ड कहीं
तो, कहीं सजे रोली चंदन है
नये वर्ष की नयी किरण का
स्वागत अभिनंदन है
विगत वर्ष की टीस अचानक अभी कसकती है
नये वर्ष की नवल रश्मि में आशा पलती है
आगत को सौ बार नमन है,
शत-शत वन्दन है
सर पर मंडराता खतरा, संज्ञान नहीं करते
जो कुछ हो, सरकार करे, बस इसका दम भरते
जागरूक को समझना तो
निर्जन क्रन्दन है
निर्वाचन का बिगुल बज चुका, पर कैसा डरना
ओमिक्रोन कोरोना घातक, पर कैसा डरना
नयी सुबह में, रश्मिरथी का
अजब-गजब स्यंदन है
- अनिल कुमार वर्मा
१ जनवरी २०२२ |
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