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भुट्टे आए
बड़े रसीले |
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भुट्टे
आये बड़े रसीले
दाने जिनके पीले-पीले
चूल्हे
सिगड़ी गरम गरम हैं
भुट्टे देखो नरम नरम हैं
सिंकने पर खुशबू है आती
खाने को यह जी ललचाती
थोडा नींबू नमक लगाओ
चबा चबा कर इनको खाओ
दादा जी के दाँत नहीं हैं
उनको देखो नहीं सताओ
दूध भरे यह दाने न्यारे
बारिश में लगते हैं प्यारे
मोती से ये जड़े हुए हैं
इक कतार में खड़े हुए
हैं
मुँह
पर मूँछें रखें सिकन्दर
हरे भरे कपड़ों के अंदर
दाने मक्का के पक जाते
पॉप-कॉर्न हम इनके खाते
इनके बनते हैं पकवान
मक्का खूब उगाए किसान
- घनश्याम मैथिल अमृत |
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इस माह
''भुट्टे आए''
संकलन के अंतर्गत
गीतों में-
छंदों
में-
अंजुमन
में-
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