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 भुने हुए भुट्टे का जादू






 

महँगाई का आलम होने पर भी सस्ता है
भुने हुए भुट्टे का जादू सब पर चलता है

ठेलों पर सज जाता है खलिहानों से आके
नीबू और नमक से इसका नाता पक्का है

मिट्ठू तोते और गिलहरी गिल्लू सँग हँसता
शश औ मृग भी आतुर होके इसको तकता है

रेशा रेशा स्वाद भरा है इसके दानों में
यह वह सोना हरियाली के रँग में पकता है

बस, गाड़ी में ऊब रहे हों जब दोपहरी में
तब तो बस इसकी संगत से हियरा खिलता है

पत्थर के नगरों में भटके खोए रहते हैं
इससे मिलकर यह पंछी मन चहका करता है

ऊर्जा का भंडार है इसमें पीड़ा हरता है
भारी होकर भी पचने में बिलकुल हल्का है

- अश्विनी कुमार विष्णु
१ सितंबर २०२०

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