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गरमागरम बेचते भुट्टे






 

शहर मसूरी या फिर शिमला
जाओ या कश्मीर
गरमागरम बेचते भुट्टे
एक दिखी तस्वीर!

सबके सब किस्मत के मारे
घर से बेघर सब बन्जारे
एक खुशी बस हाथ बटाती
हर राँझे की हीर!

सिर पर रहती सदा उधारी
सपनों में भी मारामारी
साथ धुँए के चुए पसीना
पिघले मन की पीर!

दिन पूरे का पूरा खपता
जेब ताकता रहता हफ्ता
वर्दी जब चाहे सहलाए
बंदे की तकदीर!

बदल गया है मंजर सारा
पूरा जग विपदा का मारा
बेसुध सिगड़ी गुमसुम ठेली
कौन बँधाए धीर!!

- डा आर पी सारस्वत
१ सितंबर २०२०

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