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 मक्की की सरकार     






 

सावन राजा ने दिया, मेघों को आदेश
बूँदों के सर मारकर, भर दो सर-परिवेश

बरखा रानी ने तनिक, झटके अपने केश
मोती बरसे आँगने, हरियाये घर, देश

दानों के मोती भरी, पहन खड़ी दस्तार
हाट-बाट पर इन दिनों, मक्की की सरकार

जामुन अमिया से कहें, रहो भले अब दूर
अपने साथी अब यहाँ, भुट्टे और खजूर

वर्षा में भीगी मृदा, या हों भुट्टे आँच
सबको रहती खींचती, इनकी महक-कुलाँच

मैत्री करके अग्नि से, पक गये आदि-अंत
बिखर गए फिर मुँह फुला, मक्की के शत-दंत

- परमजीत कौर 'रीत'
१ सितंबर २०२०

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