|
|
भुट्टे
का हो संग
|
|
रिमझिम-सी बारिश झरे, भुट्टे
का हो संग
महफ़िल कैसी भी रहे, जम जाता है रंग
वेश जरा यह देखिए, भुट्टे जी का आप
परतों में ऐसे सजे, ली जैसे हो नाप
भुट्टा हो यदि दूधिया, निम्बू-नमक का संग
मत पूछो फिर स्वाद का, जमता कैसा रंग
नुक्कड़ पर सब हैं खड़े, भुट्टे की ले आस
मन चंचल ललचा रहा, कैसे पहुँचे पास
भुट्टे खाने को जुटे, कब से बिछड़े यार
किसको चिंता है यहाँ, खाना दो या चार
बड़ा सुहाना लग रहा, बारिश में संसार
भुट्टे वाला बाँटता, समरसता का सार
जितना मन हो खाइये, लेकिन रखिए ध्यान
भुट्टा खाकर जल नहीं, पीता चतुर सुजान
- सुबोध श्रीवास्तव
१ सितंबर २०२० |
|
|
|
|