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देखो
लहराते भुट्टे |
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संग हवा के झूम झूम देखो
लहराते भुट्टे
अपना मोहक रूप दिखा सबको ललचाते भुट्टे
मोती जैसे दाने इनके , केश सुनहरी आभा
हरे रंग के ओढ़ शॉल कितना इतराते भुट्टे
सब्जी बोलूँ या बोलूँ फल, समझ न आये मुझको
जो भी हो सब खूब मजे से मिलकर खाते भुट्टे
बारिश के मौसम में तो बस इनका राज ही चलता
हाट हाट में, और सड़क पर धाक जमाते भुट्टे
डाल हाथ में हाथ चले जब हम तुम सागर तट पर
चटक चटक कर कई जगह भुनते दिख जाते भुट्टे
निकलें बाहर कहीं घूमने, करने फक्कड़ मस्ती
भूख लगे तो ऐसे में फिर याद हैं आते भुट्टे
सदा अँगीठी पर सिंकना ही इनकी किस्मत क्यों है
कभी सोचने ये बैठूँ तो मन भरमाते भुट्टे
- रमा प्रवीर वर्मा
१ सितंबर २०२० |
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