अनुभूति में
शार्दूला की रचनाएँ
नई रचनाएँ-
मैं हूँ वो प्यास
खोटा सिक्का
तीन छोटी रचनाएँ-
बोलो कहाँ उपजाई थी
कब आओगे नगरी मेरी
ये गीत तेरा
ये ज़मीं प्रिय वो नहीं
कविताओं में-
आ अब लौट चलें
आराधना
चाहत के चिराग
चार छोटी कविताएँ
चिनगारी
तेरे पीछे माया
दोस्त
दोहे
बसंत आया
पारस
माँ
विदा की अगन
सूरज में गर्मी ना हो
हँसी
|
|
बसंत आया
क्या तुम्हारे शहर में भी
सुर्ख गुलमोहर की कतारें
हैं
क्या अमलतास की रंगोबू
तुम्हें भी दीवाना करती है
क्या भरी दोपहरी में तुम्हारा भी
भटकने को जी करता है
अगर हाँ तो सुनो जो यों जीता है
वो पल-पल मरता है
क्योंकि हर क्षण कहीं कोई पेड़
तो कहीं सर कटता है।
|