अनुभूति में
शार्दूला की रचनाएँ
नई रचनाएँ-
मैं हूँ वो प्यास
खोटा सिक्का
तीन छोटी रचनाएँ-
बोलो कहाँ उपजाई थी
कब आओगे नगरी मेरी
ये गीत तेरा
ये ज़मीं प्रिय वो नहीं
कविताओं में-
आ अब लौट चलें
आराधना
चाहत के चिराग
चार छोटी कविताएँ
चिनगारी
तेरे पीछे माया
दोस्त
दोहे
बसंत आया
पारस
माँ
विदा की अगन
सूरज में गर्मी ना हो
हँसी
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आ अब लौट चलें
आ अब लौट चलें
किस रंग खिलीं कलियाँ
दुबकी आई क्या छिपकलियाँ
सूनी रोई होंगी गलियाँ
घर लौटूँ तो बताना
जो स्वप्न बुने मैंने
जो गीत चुने मैंने
किस्से जो गुने मैंने
मैं आऊँ तो दोहराना
थक सा गया है थोडा
मेरीे बाजुओं का जोडा
अब पाँव घर को मोडा
अपनी पलकें तुम बिछाना
८ सितंबर २००८
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