अनुभूति में
शार्दूला की रचनाएँ
नई रचनाएँ-
मैं हूँ वो प्यास
खोटा सिक्का
तीन छोटी रचनाएँ-
बोलो कहाँ उपजाई थी
कब आओगे नगरी मेरी
ये गीत तेरा
ये ज़मीं प्रिय वो नहीं
कविताओं में-
आ अब लौट चलें
आराधना
चाहत के चिराग
चार छोटी कविताएँ
चिनगारी
तेरे पीछे माया
दोस्त
दोहे
बसंत आया
पारस
माँ
विदा की अगन
सूरज में गर्मी ना हो
हँसी
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आराधना
यों ही उस धार में बहे हम भी
जैसे पूजा के फूल बहते हैं,
मेरे हाथों में तेरा दामन है
मुझे तेरी तलाश कहते हैं।
तुझ को पा कर के क्या नहीं पाया
तुझ को खो कर के मैं अधूरी हूँ,
तू जहाँ बाग़ है वो ज़मीन हूँ मैं
तेरे होने में मैं ज़रूरी हूँ।
तू मुझे प्यार दे या ना देख मुझे
मेरी हर उड़ान तुझ तक है,
तेरी दुनिया है मंज़िल दर मंज़िल
मेरे दोनों जहान तुझ तक है।
24 अप्रैल 2005
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