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अनुभूति में शैल अग्रवाल की रचनाएँ- 

छंदमुक्त में-
अतीत के खज़ानों से
अभिनंदन
अशांत
आदमी और किताब
उलझन
एक और सच
एक मौका
ऐसे ही
किरक
कोहरा
खुदगर्ज़
जंगल
नारी
देखो ना
नेति नेति
बूँद बूँद
मिटते निशान
ये पेड़
लहरें
सपना अभी भी

हाइकू में
दोस्त, योंही, आज फिर, जीवन, आँसू

संकलन में-
गाँव में अलाव–धुंध में
शुभकामनाएँ–पिचकारी यह
होली – होली हाइकू
गुच्छे भर अमलतास– आई पगली
                 कटघरे में
                - मुस्कान
                - ममता

पिता की तस्वीर– बिछुड़ते समय
ज्योति पर्व– तमसो मा ज्योतिर्गमय
                - दिया और बाती
                - धूमिल रेखा
जग का मेला– चार शिशुगीत
ममतामयी– माँ : दो क्षणिकाएँ

 

लहरें

शाम के उठते अँधेरे में
लौट जाएँगी ये उमड़ती लहरें
रह जाएगी किनारों पर वही
कसकती रेत, उफनते झाग
निकल आया है दिन कहीं
तड़पती काली रात से तो
हँसता–खेलता दिन कहीं
रात की काली चादर ओढ़
बेखबर–सा सो जाता है
कांटों पर खिली कलियाँ
और खिले फूलों को कहीं
झूमती डालों ने गिरा डाला है
टटोला जब–जब यह मन
राख ही राख क्यों आई हाथ
धोने से पहले क्योंकर फिर
एक अधबुझी चिनगारी
अतस् तक झुलसा जाती है
क्या जानूं सच–झूठ को मैं
कुछ भी तो इतना
सीधा और साफ नहीं
आँसुओं में चला लेता है
कोई अपनी नाव
तो किसी की
किनारों पे डूब जाती है।  

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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