अनुभूति में
शैल अग्रवाल की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
अतीत के खज़ानों से
अभिनंदन
अशांत
आदमी और किताब
उलझन
एक और सच
एक मौका
ऐसे ही
किरक
कोहरा
खुदगर्ज़
जंगल
नारी
देखो ना
नेति नेति
बूँद बूँद
मिटते निशान
ये पेड़
लहरें
सपना अभी भी
हाइकू में
दोस्त,
योंही,
आज
फिर,
जीवन,
आँसू
संकलन में-
गाँव में अलाव–धुंध
में
शुभकामनाएँ–पिचकारी
यह
होली–
होली हाइकू
गुच्छे भर अमलतास–
आई पगली
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कटघरे में
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मुस्कान
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ममता
पिता की तस्वीर–
बिछुड़ते समय
ज्योति पर्व–
तमसो मा ज्योतिर्गमय
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दिया और बाती
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धूमिल रेखा
जग का मेला–
चार शिशुगीत
ममतामयी– माँ-
दो क्षणिकाएँ
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उलझन
समय की आँच पर
चढ़ा मन का पतीला
कालिख से लिपा–पुता
उबलता–उफनता
खुरच डाली हैं मैंने
वे जली–भुनी तहें
पोंछा है इसे अपने
हाथों से रगड़–रगड़
पर कैसे परोसूँ
प्यार की रसोई
शब्दों की मिठाई
नेह का जल ––
वह जली महक
तो जाती नहीं
तन–से मन–से।
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