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शुभ कामनाएँ

 

होली की शुभ कामनाओं से सुसज्जित लघु कविताओं का संग्रह  


रंगों की मधुर रंगोली सी
फागुन की चपल ठिठोली सी
कुछ गीत भरी कुछ प्रीत पगी
शुभ कामनाएँ हैं होली की

— पूर्णिमा वर्मन



पिचकारी यह रंग बिरंगी लाल गुलाबी प्यार भरी
पीली एक उमंगों वाली
और हरी हरियाली सी
महकी महकी यादों भीगी
खुशियाँ बन तुम तक जाए

—शैल अग्रवाल


फागुन की आहट पाकर यह
फगुनाया है मेरा मन
कहता होली तुम संग खेलूँ
तोड़ सजन जग के बंधन
अमराई बौराई जब से
बौराया यह मेरा मन
प्रेम रंग नयनों में भर कर
बाट निहारूँ मैं साजन
चंदन सा तन लगा महकने
यादों में खोई चितवन
लाख लाख होली की बधाई
मन के मीत तुम्हें साजन

—सत्य नारायण सिंह

फागुन आया आई होली
रंग बरसाती नई नवेली
भरे प्रेम पिचकारी में
दुनिया की हर क्यारी में
इंद्र धनुष हो आसमान में
धरती खुशियों की झोली हो
सुख सुविधा और
स्वास्थ्य संजोए
मधुर मधुर सबकी होली हो

— संध्या 

फागुन मास रंगीला आया
होली का उत्सव है छाया
मस्ताना मदमाता मौसम
झूमें नाचें गायें सब जन

खेलें सभी प्रेम से होली
बोलें सभी स्नेह की बोली
मिलें गले बन के हमजोली
ऐसी हो अनुपम ये होली
 

— कविता सिन्हा  


जीवन में बहुरंग रचाये
अन्तरंग में प्रिय पिचकारी
जहां-जहां तक कविता पहुंचे
शब्दों के शुभ रंग बिखेरे।
प्रियतम के मुख पर आभा बन
बच्चों के माथे पर कंचन
और बुजुर्गों के चरणों में
अबीर का तिलक लगाये
दुनिया के सारे गुलाल में
मिलकर प्रेम सुधा बरसा दे।

— शरद आलोक

ज झिझको ना रूको ना
खुल के खेलो मान लो ना
प्यार उडेलो
नहा लो!
प्रेम के तुम
रंग लगा लो!
हंस के कर लो कुछ ठिठोली
आई है फिर आज होली

— राज जैन

शरद आलोक जी की प्रेम सुधा के जवाब में -

पिचकारी से रंग बरसा
या प्रेमसुधा फुहार
अबीर, गुलाल रंग उड़ा
मित्र, बनके तेरा प्यार
भीनी यादें फिर ले आया
यह होली का त्योहार

सुमनकुमार घई

प्रियतम से
मिलने की धुन में
कहाँ जगह है द्वेष-
डाह की
बन्धुभाव में बहो
दूर हो -
मन की जकड़न
फागुन की
मस्ती में हो
होली का आलम

-गोपेश पांडे
ई आई होली रे!
धरती पर नवरंग लिये
फूल फूल में गंध लिये
हंसी खुशी से रंग लगाओ
होली का त्योहार मनाओ
भीगो और भिगाओ रे
ऐसी होली खेलो रे!
याद रहे जो बरसों रे!!
- राधिका

सात रंग और सात सुरों से
भरनी अब तो झोली है
हर रंग में
रंग प्यार का
सुर में मीठी बोली है
राग रंग का
जोड़ अनोखा
अदभुत अबकी होली है
-
आस्था

प्रचन्ड अनल के लपटों की
नभ छूती जाएं शिखाएँ,
धर्म विजित होता अर्धम पर
कहती विजय पताकाएँ,
गूँजे शंखनाद,
हर्षनाद के संग
हो रहा होलिका दहन
अनंत शुभकामनाएँ !

- बृजेश कुमार शुक्ला

शुभ कीरत का सर पाग रहे
हित मित्रन का अनुराग रहे
नित रंग रहे नित राग रहे
अस्र् बारह मासन फाग रहे
- अज्ञात


होली में भीगा तन
और बदन रंग है
खुशियों की उमंग
और दिल में जंग है
लाज से गोरी के
क्यों गाल लाल हुए
अब न छूटे कभी
यही असल रंग है

-डा प्रदीप गुप्त

 

 

फरतों के जल जाएँ
सब अंबार होली में
गिर जाए मतभेद की
हर दीवार होली में
बिछुड़ गए जो बरसों से
प्राण से अधिक प्यारे
गले मिलने आ जाएँ
वे इस बार होली में
तन और मन रंग दे
पड़े बौछार होली में
गांठ खोल दे मन की
मान मनुहार होली में
-रामेश्वर काम्बोज हिमांशु

 

 

मुट्ठी मुट्ठी उड़ गुलाल की
रंग फ़िज़ाओं में अब घोले
मस्ती में लहराए तनमन
अल्हड़ता आँगन में डोले
पिचकारी से निकल रंग की
धार मुस्कुरा कर यह बोले
हर इक सपना इंद्रधनुष सा
इस होली पर रंगीं हो ले।

- राकेश खंडेलवाल 

 

पीकर भंग मचा हुड़दंग
छिड़ी जंग रंगों के संग
दोस्तों के संग दुश्मनों के संग
आई होली खुशियों के संग
उमंगों के संग तरंगों के संग
प्यार के संग भावनाओं के संग
खेलो होली सबके संग
-राजेश वर्मा

9 maaca- 2006 

 

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