ये उत्सव के फूल
ये उत्सव के फूल शीघ्र ही मुर्झा जाएँगे
इनको शिरोधार्य करने वाले उकताएँगे
बीज न देंगे, फल ना देंगे, जिनकी जडें नहीं
मुद्रायें गतिमान मूर्तियां आगे बढें नहीं
जीवन का आभास! और कितना दे पाएँगे?
ये उत्सव के फूल शीघ्र ही मुर्झा जाएँगे
गंध शेष है, कोमलता भी, रंग अभी दिखते
गुणधर्मी पीढ़ी बढ़ती, ये अगर नहीं बिकते
शोभा बढा चुके, अपनी दूकान बढाएँगे
ये उत्सव के फूल शीघ्र ही मुर्झा जाएँगे
इनको शिरोधार्य करने वाले उकतायेंगे
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मई 2007
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