चाँदी की जूती
नंगों की बस्ती में चलती
चाँदी की जूती
पैसा जिसके पास उसी की
बोल रही तूती
लक्ष्मी जिसके पास
उसी का रंग है चमकीला
कौन देखता चकाचौंध में
काला या पीला
धूम धड़ाके में दब जाती
उसकी करतूती
नंगों की बस्ती में चलती
चाँदी की जूती
उसकी गाड़ी उसके बैनर
उसके ही झंडे
उसके बाबा उसके मुल्ले
उसके ही पंडे
ठाकुर साहब साथ हो लिए
कर मूँछें नीची
नंगों की बस्ती में चलती
चाँदी की जूती
३ नवंबर २००८ |