|
मुस्कान ये अच्छी नहीं
इस देश के, इस दौर में,
जो है सहज, छोड़े रहो
झूठी शकल का आवरण,
है लाजिमी ओढे रहो
बारादरी दालान ये तेरी कसम अच्छी नहीं
इस उम्र में मुस्कान ये तेरी कसम अच्छी नहीं
नंगा खड़ा है, डाल काँधे
संस्कृति की लाश को
जब मिल रहा सम्मान,
ऐसे धार्मिक बदमाश को
सच्चाई की दूकान ये तेरी कसम अच्छी नहीं
इस उम्र में मुंस्कान ये तेरी कसम अच्छी नहीं
क्या फ़ायदा है आपको,
ऐसे ग़लत व्यापार से
जब दाम आधे भी नहीं
आदर्श के, व्यवहार से
सत्याग्रहों की शान ये तेरी कसम अच्छी नहीं
इस उम्र में मुस्कान ये तेरी कसम अच्छी नहीं
समझा रहा हूँ मैं,
मगर हैं आप हँसते जा रहे
संन्यासियों के जाल में
बेकार फँसते जा रहे
फिर कह रहा श्रीमान ये तेरी कसम अच्छी नहीं
इस उम्र में मुस्कान ये तेरी कसम अच्छी नहीं
16
मई 2007
|