अब निर्बन्ध हुआ
जब तक घर था
मैं निर्भर था
अब निर्बन्ध हुआ
सूरज चाँद पहाड़ नदी
सब से संबंध हुआ
सीमित था, जब तक जीवित था
रिश्तों को ढोकर
फैल गया मैं कितना कितना
अपनों को खोकर
शीशी फूटी, इत्र फैल सर्वत्र सुगन्ध हुआ
सूरज चाँद पहाड़ नदी सबसे संबंध हुआ
अब आया ये समझ,
हवा इतना इठलाती क्यों
अब मैंने जाना ये नदिया
कल कल गाती क्यों
तभी हो सका आनन्दित जिस रोज़ अनन्त हुआ
सूरज चाँद पहाड़ नदी सबसे संबंध हुआ
२
जून २००८ |