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                    गहराता है एक 
                    कुहासा सूखे खेतों भूखे 
                    गाँवों गहराता है एक कुहासा!
 तारकोल रंग कर 
                    सूरज परप्रखर प्रकाशित, हैं उल्काएँ,
 संभावी, इतिहास बाँच कर
 सिसके गीत, मरसिया गाए,
 बाँध गई विस्तार गगन का -
 एक अजानुबाहु परिभाषा!
 गहराता है एक कुहासा!
 तेज़ नमक अनुभव, 
                    देती है सड़ी व्यवस्था खुले ज़ख़म में,
 नभ पीला पड़ता जाता है
 रंग उड़ते रहने के गम में,
 कलियों के नाखून तेज़ हैं
 काँटों का दिल नरम छिला-सा!
 गहराता है एक कुहासा!
 बाहर सड़कों 
                    चौराहों कोरौंद रही, भारी ख़ामोशी,
 भीतर, गला फाड़ कर चीखे
 एक सभ्यता पाली पोसी,
 ऋषि दधीचि का चेहरा ओढ़े
 अट्टहास करते दुर्वासा!
 गहराता है एक कुहासा!
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