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कोहरे में |
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हो रहा -
अनुपम सवेरा कोहरे
में
रात का - उठ चला डेरा कोहरे में
चाँद सा सूरज उगा है
गगन शीतलता पगा है
धूप पर पहरा लगा है
धुँधलके में रतजगा है
भोर का - बिछता बसेरा कोहरे में
चल रहा - सबकुछ अबेरा कोहरे में
पारदर्शी ले रजाई
सुगबुगाती किरन आई
बाड़ को रंगने लगी है
प्रात में डूबी ललाई
शिशिर का - जादू घनेरा कोहरे में
काम पर - निकला कमेरा कोहरे में
धुँध में जो ढँक रहा है
सत्य से वह बच रहा है
डूबकर जो रच रहा है
जो कहा वह सच रहा है
लग रहा- फिर भी अनेरा कोहरे में
क्या पता- क्या हेरा फेरा कोहरे में
जगत माया से ढँका है
सदा से दो में बँटा है
कुछ तो जगमग से अटा है
कहीं अँधियारा सटा है
जोगिया सच-
है चितेरा कोहरे में
कोई भी - तेरा न मेरा कोहरे में
- पूर्णिमा वर्मन |
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इस माह
कोहरे को समर्पित विशेषांक
गीतों में-
अंजुमन में
छंदमुक्त में-
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