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          जलते हुए अलाव

सड़कों पर सन्नाटा ठिठुरा गूँगा शोर
कोहरे की चादर ओढ़े -
है गुमसुम भोर

जलते हुए अलाव काँपते बैठे लोग
चिपटे बैठे हुए तापते - ऐंठे लोग
भूलभाल कर सभी अदावत बस घर में
गर्म रजाई में हैं घुसे-
दरोगा चोर

तीर हवा है और शीत के चांटे हैं
मौसम सारा घायल करते काँटे हैं
भूख लगी है लेकिन बड़ी मुसीबत है
कौन हाथ बाहर ला करके -
खाये कौर‌‌

गर्म चाय से खुद को आग लगाते लोग
आ जा धूप सुनहरी राग लगाते लोग‌
सुबह सबेरे रामनाम की धुन जपते
थर दर बजते दाँतों के -
जारी हैं दौर

- कॄष्ण भारतीय
१ दिसंबर २०२१

     

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